बुधवार, दिसंबर 13, 2006

frustration अर्थात कुंठा

कभी कभी मैं सोचता हूँ आखिर मैं अपने इस ज़ीवन मैं कर क्या रहा हुँ?? सामने रखे डिब्बे की को देखते - देखते मेरी आँखे थकती क्यों नहीं?? कुछ फिरंगियों के लिये कोड लिखते हुये आखिर मैं हासिल क्या कर रहा हूँ?? मैं यह नहीं कह रहा कि मैं अपने ज़ीवन से कुंठित हूँ या निराश हूँ लेकिन यह ज़रूर सोचता हूँ कि कहीं मैं यह जीवन व्यर्थ, निष्फल, या फिर सिर्फ 'काट' तो नहीं रहा। एक खालीपन या युँ कहिये कुछ नहीं करने का अहसास हर वक्त मुझे परेशान करता हुआ प्रतीत सा होता है। कभी तो मैं भी कुछ अछ्छा करूँगा- क्या यही सोचते-सोचते मैं भी 'ding-dong-ding' हो जाऊँगा :P ???

p.s: वैसे मैं यह नहीं दर्शाना चाहता था कि मैं इस जीवन से निराश हूँ लेकिन लिखने को यही मिला तो क्या किया जा सकता है??

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