गुरुवार, अक्तूबर 12, 2006

दोहावली क्र॰ १ संशोधन-१

चींटी से साथी मेरे, सीखो तुम इक बात।
(14) (11)
मंजिल पाने के लिये, करो अथक प्रयास।।
(13) (10)

प्र = 2 matra or 1 ??

1 टिप्पणी:

अनुनाद सिंह ने कहा…

प्र(कोई भी संयुक्ताक्षर) दो मात्रा के तुल्य गिना जाता है।

चींटी से सीखो सदा, लाख तके की बात।
मंजिल पाने के लिये, लगे रहो दिन रात।।