शुक्रवार, अक्तूबर 06, 2006

दोहावली क्र॰ २

नारी का अपमान कर के, भले हीं मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये।
लेकिन अपने ही पुत्रों की नज़रों में, वह मानव गिर जाये।।

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