दिल और दिमाग से
गुरुवार, अक्तूबर 12, 2006
दोहावली क्र॰ २ संशोधन-२
नारी अपमान कर के, बना पुरुष उत्तम ।
(13) (9)
निज पुत्र नज़र में, व्यर्थ उसका जनम।।
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