गुरुवार, अक्तूबर 12, 2006

दोहावली क्र॰ २ संशोधन-२

नारी अपमान कर के, बना पुरुष उत्तम ।
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निज पुत्र नज़र में, व्यर्थ उसका जनम।।
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